बदला नहीं जमीं है न बदला है समन्दरकलियां खिलेंगी अब भी कुछ खास है ये मंजर बादल की गुफ़्त गु में गर बदली है हवाएंतो
Year: 2007
जीवन में आएगा प्रभातवो कलिया वो तारे आएँगेजिनकी है मुझको तब से यादहै मेरी यह परिकल्पनाहै मेरा यह सुदृढ विश्वासजीवन में आएगा प्रभात।जीवन पथ का
कोमल किरण सीजिन्दगी मेंवो मेरी आई। एक आरजुविश्वास बनवो दिल में मेरी छाई। प्यासा रहामैं जब कभीहर जाम वो पिलाई। करता उसेजब याद मैंनज़रों में
कुछ तो कहो कहते रहोकरते रहो आवाज तुमहम से मिलो सबसे मिलोकिंचित न हो उदास तुम कहना ही तेरा काव्य हैइस काव्य का ही भाव
कुछ पल जिन्दगी केगम के बादल बन केखामोशियों की साजिसमें स्वयम् आज जलके। सबको रिझा रही हैरिश्तों में आज रम केये पल जिन्दगी केअबकी कहावत
क्या बताऊँ यार मित्रों और संतोंआज बिगड़ा यार जो प्यारा बसंत क्या बताऊं आज उसकी एक अदा ने मार डालीदिन भर आगे पीछे करता मेरे