वैसे तो मैं बेहत शरीफ इन्सान हूँ…पर facebook के युग में थोडा बदनाम हूँ !facebook लगता है मुझे हिंद-महासागर और girls के profiles होते हैं
Month: May 2012
मेरी मधुशाला*********मेरी मधुशाला, सोच की वह गहराइयाँ है जो जीवन के किसी भी मोड़ पर हमें प्रसन्न रहने के लिए प्रेरित करती हैं |फिर चाहे
मैं मानता हूँ दोस्ती जीने का दूजा नाम है औरदुश्मनी भी दोस्ती का एक सुलगता नाम है… दोस्ती में दोस्तों को याद करना, भूल जाना…गम
लिखता हूँ मैं कुछ ऐसा नगमा ही लिखता हूँकि हर पीनेवाले को मैं मधुशाला ही दीखता हूँ…!!मेरी आवारगी की तह में जाकर देख लो तुम
माना शादी एक बंधन हैइसके अन्दर भी क्रंदन है |कुछ खट्टी-मिट्ठी बातें हैबाकी पूरा मनोरंजन है…! गर बीबी होती है हिटलर तो मियां शिकारी होता