तूफां से गुजर कर मुतमईन थे हम साहिल पर डूब जाएगी कसती खबर न थी। (अज्ञात) तेरे अहसान के तले बड़े शागिर्द थे हम एक
Month: June 2014
(1) फोकट का फाटक खुलवाविस्तार करूं मैं बेतालासाकी से शुरूआत करूं मैंदे संतों को मय-प्याला,*ऐसा स्वांग रचूं मैं पी केअपने इस मदिरालय मेंझुम-झुम सब नाचें
मिलती हो उम्मीद जहाँ वो एक नजर की आँधी है। उम्मीदों की रौनक में कोई कान्हा है कोई गांधी है। कोई नहीं है इतिहासों सम आज यहाँ लड़ने