Buy time with money or money with the timePush knowledge with ego or ego with the knowledgeEarn fame without a name or name without being
Year: 2016
एक लव्ज बनो तुम इस पल, ये पल गमगीन है जीवन का तुम एक पहेली बनकर के, ‘गम’, मीत! मिटादो जीवन का !! तुम अक्षर में, तुम
जाने अनजाने में मैं – क्यों भूल जाता हूँ। मेरी प्रियतम मधुशाला !! क्यों मैं डूब जाता हूँ ! प्यार के रंग अनेको हैं और
क्या रूठे पल से रूठना क्यों ओझे कल को भूलना ? मस्तक पर श्रृंगार है सबका आभा जिसकी महि नहीं ! जब घनघोर घटाएँ हो और किरणों