दिवाली को दीप जलाया, खुशियां हुई हजार
मन में जागी आश नयी, मानो सज गया संसार
हो बोलो शोर दिवाली, पताका है।
हो बोलो नाचे घिरनी, तमाशा है।
ऊषा की तरुणाई, बादल घेरा बांधे आई
बच्चे खेले आँखमिचौली, मचले मन मेरा तूफानी
हो बोलो मस्त दिवाली, ताजा है।
रिमझिम बादल बरसे, ये तो बाजा है।
साफ़ करे घर-आँगन, माँ ने तब फिनायल दे डाला
पढता मुन्ना शोर-शराबे में तब माँ का बना गोपाला
हो बोलो भव्य दिवाली, प्यारा है।
हो बोलो कोयल कूके, मधुशाला है।
रंग-रंग में रंगे लोगन, हो गये सारे दंग
और इंजीनियर पलथी मारे, किये रहा हुड़दंग
हो बोलो रसिक दिवाली, रसगुल्ला है।
पटाखा फोड़े बंटी, शोर अब ज्यादा है।
एक थे रामा एक था रावण, हो गई एक संग्राम
हुआ घमंडी चूर जगत में, दाता बन गए राम
हो बोलो राम की हस्ती, पावन है।
हो बोलो हनुमान, मनभावन हैं।
खुशियां सबकी एक सी होती, होते भिन्न विचार
हो इज़हार हमारी ऐसी – मस्त रहे संसार।
हो बोलो सत्य वचन – दिवाली है।
हो बोलो मिटता गम – दिवाली है।
हो बोलो सबका मन – दिवाली है।
हो सूर में सा रा रा रा – दिवाली है।
रचइता – प्रभात कुमार