कास मिला न होता तुमसे तुम सपनों में न आती…
जगमग जगमग दुनिया थी जो तुम पायल न खनकाती।
कास मिला न होता तुमसे तुम सपनों में न आती ,
पंछी जैसे उड़ते रहते जो न नजरों का जाल बिछाती।
फिर एक परिंदा उड़नेवाला तेरा चक्कर खा गया
जो पिंजरे में न रह पाया वो कैसे गोता खा गया
मैं एक परिंदा उड़नेवाला कैसे धोखा खा गया
लॉलीपॉप लपा करके वो पीछे मुक्का खा गया।
चाल तेरी मस्तानी थी मैं उसपर दीवाना था।
तेरी मस्त नजर की लहरें थी मैं उसपर मरनेवाला था।
तेरी धड़कन मेरी धड़कन के संग टिकटोक टिकटोक करता था
हम आज़ाद परिंदा थे बाकी सब कोई शर्मिंदा था।
फिर किसने ताना मार मार कर दिया सृजन को तार तार
इन जुल्मी ढेकेदारों से परेशान हुआ मैं बार बार
कमबख़्त नजर आते भी नहीं और ताने कसते जातें हैं।
वो हाहाकार मचाते हैं और सबकी नींद उड़ाते है।
कुछ ऐसे गुरुओं को भी एक संधि पत्र लिखना होगा
एक नए प्रिस्ट में उनके कर्मों को भी महना होगा।
राम के गुण थे एक हजार पर उनका है कुछ और बाजार
टांग खिच के आगे बढ़ते, राम लगाते नैया पार।
बस बस बस बस बहुत हो गया – खींचा तानी प्यार में
अबकी बरस बस चलेगा भैया – मस्त रहो संसार में।
जुल्मी सारे साइड हो गए – रास्ता पूरा साफ़ है।
ड्राइवर सीट पर हम बैठे हैं और फ्रंट में आकाश है।
Author: Prabhat Kumar