विस्तार हुआ, अवतार हुआतब कलियुग में,स्वपनों का त्योहार हुआ। कुछ हठकलियां, चंचल कलियांप्रीत जगी जब-जब इनमेंमुझको इन सब से प्यार हुआ तब प्यार हुआ॥ ~*~
विस्तार हुआ, अवतार हुआतब कलियुग में,स्वपनों का त्योहार हुआ। कुछ हठकलियां, चंचल कलियांप्रीत जगी जब-जब इनमेंमुझको इन सब से प्यार हुआ तब प्यार हुआ॥ ~*~