मुझे न समझो एक अनाड़ी मैं मनमौजी काया हूँ। जो मुझको देखें एक आँख से अक्सर उनको भाया हूँ।गली-गली में चर्चा होतीमैं सदभाव सुनाता हूँ।ग़ालिब और बच्चन कीवंदन

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धरती पर जो स्वर्ग सुनहरा  वो घाटी मुरझाई है।  दशकों से जो खून की होली  खेल-खेल थर्राई है।  उस घाटी का वर्णन कैसे  करता पी

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