Author: Prabhat Kumar
मुझे न समझो एक अनाड़ी मैं मनमौजी काया हूँ। जो मुझको देखें एक आँख से अक्सर उनको भाया हूँ।गली-गली में चर्चा होतीमैं सदभाव सुनाता हूँ।ग़ालिब और बच्चन कीवंदन
I’m happy, I’m lost Lost in the paradise Nothing to wonder Nothing to ponder I’m all in all, I’m alright You know what you did
धरती पर जो स्वर्ग सुनहरा वो घाटी मुरझाई है। दशकों से जो खून की होली खेल-खेल थर्राई है। उस घाटी का वर्णन कैसे करता पी