एक चंचल चतुर चकोर नार जब दे गई अक्ष पर जोर वार, अब मन मस्तक सब घुम-घुम सपनो में रहे उसे ढूंढ़-ढूंढ़ नज़रों की नजाकत किसके लिए लो उन
एक चंचल चतुर चकोर नार जब दे गई अक्ष पर जोर वार, अब मन मस्तक सब घुम-घुम सपनो में रहे उसे ढूंढ़-ढूंढ़ नज़रों की नजाकत किसके लिए लो उन