वर्ष दो वर्ष से फीके पड़े हैं हाथ मेरे
अबकी मोहलत मिली है यार इससे वार करो…
किसी से प्यार करो किसी के साथ चलो
कोई कह न पाये कि तूने न खेली है होली के रंग
आजा मतदान करो, देखो कैसी जाती है जंग !!
वर्ष दो वर्ष से फीके पड़े हैं हाथ मेरे
अबकी मोहलत मिली है यार इससे वार करो…
किसी पे रंग भरो और किसी पे वार करो
दिल में रंजिशें हो फिर भी दिल को चार करो।
ए मौन मन! अबकी वतन से तू भी थोडा प्यार करो !!!
Author: Prabhat Kumar