गुफ्त-गु हवाओं ने क्या खूब की है
बुनियाद उनकी हिलने लगी है।
दो दिनों में बगावत तो होगी
सांस भी अब सारी थमने लगी है।
सागरों में लहरों ने हलचल मचाई
अब सीपियाँ मुझको मिलने लगी हैं।
बहुत दर्द से रंग महफ़िल में आई
आभूषणो से चमक आ गई है।
कोई वफ़ा का सूबेदार आया
कोई संत कोई पहरेदार आया।
खबरी है सबकी मैं बेकार आया
कलतक खबर में बरसात लाया।
बुनियाद उनकी हिलने लगी है।
दो दिनों में बगावत तो होगी
सांस भी अब सारी थमने लगी है।
सागरों में लहरों ने हलचल मचाई
अब सीपियाँ मुझको मिलने लगी हैं।
बहुत दर्द से रंग महफ़िल में आई
आभूषणो से चमक आ गई है।
कोई वफ़ा का सूबेदार आया
कोई संत कोई पहरेदार आया।
खबरी है सबकी मैं बेकार आया
कलतक खबर में बरसात लाया।