अख्खा दुनिया डूब चूका है जाने कौन फ़साने में 
खीर मलाई सुख रहे, मय मिलता नहीं पैमाने में।
चूहा, बिल्ली, कुत्ता, गाय टीवी पर आजाते हैं,
हाय हमारी कौन सुनेगा? वर्षों से हम गाते हैं…!!
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सूट बूट में, टाई लगाकर; दफ्तर हमे बुलाते हैं…,
मौके पाकर दूर कही हम जिंजर टी को जाते हैं।
जिंजर टी की मादकता का लगता कोई अंत नहीं
कॉफ़ी की कलाकारी है – सत्संगत में संत यही।।
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बड़े बड़े बिगड़ी बनजाते – कॉफी वाले टेबल पर,
वर्षो के झगडे रुक जाते जिंजर टी के लेबल पर।
चाय की चुस्की, अदरख खुशबू, मीठा सा व्यवहार,
जिंजर टी की काया में जब फ़ैल रहा था प्यार !!
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हमसे क्यों नाराज हो भाई, लगते हैं हम नहीं कसाई 
सोच जरा ईमान से तू – खाना तुझको नहीं मिठाई?
सारे शिकवे भूल अभी और आ जा मेरे टेबल पर,
डांस करेंगे, चांस भी देंगे, जिंजर टी के फ्लेवर पर।
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आज हमारे clients आरहे, टेबल पर discussion है,
जिंजर टी की खुशबू में तब फैल रहा emotion है।
किसकी किस्मत चमकेगी और किसका होगा चीरहरण?
जिंजर टी का triple dose लो, प्रकट करो फिर विश्लेषण!
*
हुए हताश अगर कभी भी, थोड़ा सा तुम थम जाना,
दीवारों के पीछे रहकर मेहनत करके निखर आना ।
एक लहर की आंधी बनके सबके दिल तक जाना होगा
जिंजर टी की मादकता में कर्म क्षेत्र महकाना होगा !!

Author: Prabhat Kumar

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