वैसे तो मैं एक modern इन्सान हूँ…
किन्तु अपनी सादगी से बेहद परेसान हूँ.
बचपन से अंग्रजी माध्यम की शिक्षा मिली
पर हिंदी में आज भी है अंतरात्मा बसी.
प्रारंभिक कक्षा से सह-शिक्षा का अभ्यस्त रहा
पर आज तक केवल लड़कों के गुट में ही व्यस्त रहा.
लड़कियों को हमारी style पसंद ही नहीं आते
क्या बताएं हमारी सादगी के संदूक उन्हें नहीं भाते.
कहा जो जुल्फे जरा संभलकर चलना
इश्क हो तभी इश्क करना
यू ही वक्त बेवक्त हमे याद मत करना
हम सादगी का सबब मानते हैं
सच्चाई से नहीं डरते .
इश्क हम भी करते हैं
मगर जुल्फों की सजावट पर नहीं मरते.
सुन कर हमारी बात उनका दिल बदल गया
उनका बढ़ता हुआ कदम, बस रुखसत हो गया.
सादगी ने ले डूबा हमे पतझर के पत्तों की तरह
आई नहीं बहार कि हम संत बन गए….
कहता हूँ पी के एक बार तू भुला दे अपनी सादगी
कि मयखाने में हसी-हसी में हसीनो से रुबरु तो होता…