प्यार का परंपरा सदियों पुराना है…
आज भी कहीं लैला मजनू का फ़साना
तो कहीं रोमियो जुलिएट का तराना है |
पर उन मजनुओं को हम कैसे समझाएं
कि कोई लैला facebook पर नहीं मिलती
तश्वीरें देखकर कोई लड़की नहीं पटती…
प्यार नज़रों के मेलाप से उत्पन्न होता है…
facebook पर तर्क ज्यादा, प्यार कम होता है |
कोई जो मिल जाए चहेता facebook पर…
करते रहते हम उनका इंतजार facebook पर |
कभी जो माँगा पता तो smiley दिखा दिया…
हम मिलते रहे उनसे इस कदर facebook पर |
आज सामने से निकल गए वो किसी और के संग
बड़े गौर से मैंने उनका status देखा facebook पर |
फिर से किसी की तलास में हूँ, नयी आश लेकर
कहते हैं सब – “तुम्हे प्यार है बस facebook पर !!!”