Valentine Day का किस्सा

वैसे तो वर्ष में एक दिन जबरदस्त होता है,

जब देश का युवा पीढ़ी पश्चिमी सभ्यता से ग्रस्त होता है|

जी हाँ, ये valentine day की बात है

अगर सफल हुए तो मजा ही मजा

जो अंत में जाकर बन जाती है एक सजा

वर्ना दिल के टुकड़े होकर बनता आचार है

इससे भी बुरा हुआ तो

सर पे जूते और सैंडल की बौछार है|

Valentine day का किस्सा एक गुलाब से शुरू हुआ

जब कोई हसीं नहीं मिली तो ये आखरी फूल मैंने उसे दिया

अब इसे इत्तेफाक कहूँ या उपरवाले कि मेहरबानी

उसके लबों पर मुस्कराहट थी जब उसने दिल की बात जानी

उस फूल की कोमलता ने दिल छू लिया

दोनों में मानो दोस्ती जम गई

तीरेज़िगर के पार न हुआ

पर प्यार की कस्ती चल तो गई


उसे उपहार में एक सुन्दर गुलदस्ता दिया

उसका आशिक तो मैं पहले से था ही

आज उसे I Love You भी कह दिया

एक दिन के प्यार ने दुनिया बदल डाली

मिल गये थे कल के अंजना अनजानी

समय संग यह प्यार खिला और

अगले Valentine day तक सगाई भी हो गई

Gifts का सिलसिला जारी रहा और

उसे लाखों के gifts तो केवल रुसवाई में मिल गई !!

प्यार के बाद सगाई और

सगाई के बाद शादी की शहनाई बजी |

कॉलेजों के बाद नौकरी और

नौकरी के बाद एक नयी जिंदगी बसी |

प्यार तब भी होता था

प्यार अब भी होता है

बस नज़रों का तौर बदल गया

कभी नज़ारे तो कभी कुछ और बदल गया

एक से दो हुए, दो से तीन

प्यार की कस्ती में बजते रही है बीन


फिर से Valentine day आया,

पॉकेट का लिहाज करके, एक हसीन gift मंगाया

लाखों के खर्च अब valentine day पर शोभा नहीं देते

वर्ष में और भी कई त्योहार हैं जो कम खर्चीले नहीं होते

इस वैवाहिक जीवन में सबकुछ संभाल कर चलना होता है

वह तो मेरी valentine है और ताउम्र रहेगी

अब तो हमे पूरे परिवार के समस्याओं का निदान करना होता है


Author: Prabhat Kumar

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