काव्य कला को पीने वालों
कल्पित कल में जीने वालों
सात रंगों में रंगी हुई अपनी लीला है..
हो जाते बदनाम, अगर सम मधुशाला है…
कुछ प्यार के छंदों संग हस्ते
कभी ठोकर खाकर हम फसते
कैसी उलझन में आज सभी दिलवाला है
हो जाते बदनाम, अगर सम मधुशाला है…
मदिरा अपने कण-कण में हो
मधुबाला मन की कंगन हो
हर आघात की एक चिकित्सा मधु-प्याला है
हो जाते बदनाम, अगर सम मधुशाला है…
वो इंतजार की कोमल कड़ियाँ
वो दो पल की मदहोशी सदियाँ
खेल-खेल में भूल गया सम मधु-प्याला है
हो जाते बदनाम, अगर सम मधुशाला है…