मैं सुरज हूँ आसमान का

मैं सुरज हूँ आसमान का, मेरी उर्जा तेरी जवानी है।
मैं शक्ति और विधाता हूँ, मेरी उष्मा तेरी रवानी है।
मेरे आगे चाँद सितारे सब, नत-मस्तक  है स्वेक्षा से 
मेरी उल्फत जीव-समीक्षा से, जो समझे वो ज्ञानी है।
मैं सूरज हूँ आसमान का, मेरी उल्फत एक कहानी है।
मैं दीपक हूँ, मैं ही चिराग, मैं युगों-युगों का वंसज हूँ।
मैं वाणी में, मैं नज़रों में, मैं हूँ चन्दन हर घर-घर का 
जो बुझा सके मुझको पलभर, वो बादल बरखा पानी है।
मैं सूरज हूँ आसमान का, मेरी रंगत तेरी जबानी है।
मैं कुरुक्षेत्र का आग हूँ और जलिया वाला बाग़ भी हूँ।
मैं गाँधी का सत्य समाधी, हिटलर का व्यवहार भी हूँ।
जो मुझ पर ग्रहण लगा सके वो चाँद की एक नादानी है।
मैं सूरज हूँ आसमान का मेरी ऊष्मा मेरी निशानी है 
चाँद-सितारे, जीवन सारे, मेरे आगे अब सरल हुए 
ज्ञात है सबको रोटी सबकी मेरे ही आग में पकती है।
फिर भी गर्मी भगा सके वो प्यारी ह्रदय अनजानी है।
मैं सुरज हूँ आसमान का, मेरी उर्जा तेरी जवानी है।
Author: Prabhat Kumar

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