परिणाम बदल के होगा क्या?

जब दिल के अरमां टूट गए  

परिणाम बदल के होगा क्या?
आशुं का पान किया करते 
पकवान बदल के होगा क्या?
कोई बोली लगा लगा बेचे 
हम स्याही भरी सुराही हैं।
कोई हमें दबा न पायेगा 
हम एक दबंग के भाई हैं।
तुम बाधा हो विश्वास नहीं 
हम तुमको गले लगाये है।
तुम अड़चन हो अनुराग नहीं 
हम तुम से मेल बनाये हैं।
प्यालो पर मोह नहीं हमको 
पर मादक मदिरा भाए है।
हम तेरा एक प्रशंशक हैं 
और एक कलस ले आये हैं।

कुछ तुम पीलो कुछ हम पीलें 
कुछ पी लेगी दुनिया सारी 
ये बंजर राज-व्यवस्था है,
लो भर दो खुशियाँ सारी।

अगर स्नेह न मिले जिगर से 
नयनों से वाण चला देना 
हम पहले से ही घायल है,
हमको समसान दिखा देना 😉

जो भी कहलो जसे कहलो 
हम तो एक पुजारी हैं।
तुम हो A K 47 
तो हम भी एक सिपाही हैं। 

Author: Prabhat

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