ये प्यार दिलों का खेल प्रिये


(1)
मुमकिन है अपना मेल प्रिये 

ये प्यार दिलों का खेल प्रिये !
तुम एक विधायक की बेटी 
मैं भारत माँ का बेटा हूँ।
तुम चंचल,चतुर,चकोर नार 
मैं तेरे प्यार में लेटा हूँ।
तुम काशी की कोई धाम सही 
मैं उसका एक पुजारी हूँ।
तुम हो विदेश की मधुशाला 
मैं सबसे बड़ा जुआरी हूँ।

तुम उडती हुई तस्तरी हो 
मैं हूँ पतंग का डोर प्रिये !
हम उड़ने वाले पंछी हैं,
हम नहीं थिरकते मोर प्रिये !

इस तरह अगर हम लुक छुप के 
मस्ती का मोल घटाएंगे !
फिर एक रोज ऊपरवाले  
हम सबसे कुपित हो जायेंगे !
सब पोथी पत्रा बेच कहीं

हम सर पे मलेंगे तेल प्रिये 
मुमकिन है अपना मेल प्रिये

ये प्यार दिलों का खेल प्रिये !
(2)
मुमकिन है अपना मेल प्रिये

ये प्यार दिलों का खेल प्रिये !
तुम पूर्ण चन्द्रमा, पूर्णिमा 
मैं सूरज की ताप बड़ी 
तुम फिल्म जगत की माधुरी 
मैं जादूगर की दिव्य छड़ी 
तुम मुक्त शेरनी जंगल की 
नज़रों से मुझे फसाया है। 
मैं बंसीवाला मधुबन का, 
बस गाया और बजाया है। 
तुम मधुशाला की प्याला हो, 
मैं हाला, मीठा घोल प्रिये 
लो मुझे उठालो प्याले में 
औ करलो किस्मत गोल प्रिये। 
इस तरह अगर हम स्वेक्षा से 
मदिरालय तक न जायेंगे!
फिर एक रोज आजायेगा 
मधु-प्याला बिन मर जाएंगे।
विष-अमृत औ हाला पीकर  
होगा तुमसे मेल प्रिये…, 
मुमकिन है अपना मेल प्रिये

ये प्यार दिलों का खेल प्रिये !
(3)
मुमकिन है अपना मेल प्रिये

ये प्यार दिलों का खेल प्रिये !
तुम एक इशारा मुरली का 
मैं शक्तिमान सा आंधी हूँ। 
तुम हिटलर का व्यवहार सही 
मैं एक अहिंशक गांधी हूँ।  
तुम कोयल आम की डाली पर 
लो करलो मुझे पुकार प्रिये 
मैं बरगद पर बैठा कौआ 
बस करता तुझे निहार प्रिये।
तुम एक झील की सुंदरता 
नयनों को मिले अभिराम प्रिये 
लो मुझे डुबादो गहरे में,
मिल जायेगा तुमको जान प्रिये।
इस तरह अगर हम मिलकर के 
प्राणों के दाव लगाएंगे, 
फिर आपरूपी हम शादियों तक 
प्राण-नाथ कहलाएंगे !!
कुछ पुष्प मिले, कुछ खार मिले, 
पर होगा तुमसे प्यार प्रिये !
मुमकिन है अपना मेल प्रिये 
ये प्यार दिलों का खेल प्रिये !
Author: Prabhat Kumar
Dedicated to Kavi Sunil Jogi… 🙂

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