कभी भेष बदल कर भी आया करो….

काली जुल्फें खिला बदन 

मीठी बातें नीला नयन !!
बस दर्शन तेरे अमोल हैं,
तुम भेष बदल के भी आया करो….
तुम एक सपेरे की नागिन 
कभी डस के हमे भी सतया करो….
तुम कोकिल आम की डाली पर,
एक राग सुरीली गाया करो…. 
तुम चन्द्रलोक की एक परी 
कभी मेरी ख्वाब में आया करो…. 
तुम जल, अग्नि , वायु-सी प्रबल 
संचार ह्रदय में कराया करो…..
तुम शक्ति, तुम श्रिया सगुन 
कभी भेष बदल कर भी आया करो…. 
Author: Prabhat

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