क्या बताऊँ यार मित्रों और संतों
आज बिगड़ा यार जो प्यारा बसंत
क्या बताऊं आज उसकी एक अदा ने मार डाली
दिन भर आगे पीछे करता मेरे जुल्फों की रखवाली
क्या बताऊं बाप आज उसने क्या पलटी खाया
चोरी कर ली मेरी बाल ज्यों ही उसने मुझे गले लगाया
वो तो गंजा था ही नारियल सा सुन्दर-सलोना
एक बाल से क्या करे बंदर, भला यह कैसा खिलौना?
मैने भी एक मेहरबानी करनी चाही ये पूछ कर
एक क्यों? कुछ और बाल ले सकते हो सर
मेरे भेजे की फसल पर आपका ही अधिकार है
रेशमी बाल हैं मेरे, आपका क्या विचार है?
एक क्यों? कुछ और बाल ले सकते हो सर
मेरे भेजे की फसल पर आपका ही अधिकार है
रेशमी बाल हैं मेरे, आपका क्या विचार है?
प्रयोग एक से नहीं होगा, कुछ और बाल रख लें सर
नतीज़ा हमें भी सुनाएं
वे असमंजस में, सहमे हुए से, घबराकर बोले
कैसे बाल और कैसा प्रयोग?
कैसा नतीज़ा और किसका चमन?
हम तो बस बाल का व्यास मापना चाहते थे।
Author: Prabhat Kumar