कोमल किरण सी
जिन्दगी में
वो मेरी आई।
एक आरजु
विश्वास बन
वो दिल में मेरी छाई।
प्यासा रहा
मैं जब कभी
हर जाम वो पिलाई।
करता उसे
जब याद मैं
नज़रों में वो समाई।
फिर मैं अकेला था
और याद उसकी आई
वो क्यों न आई?
खुशियॉ बिखर गई
दिल टूट गया
वो नहीं आई…
मिन्नत किया हजार
तू मिल ले एक बार
वो नहीं आई…
फिर आखिरी था पल
और साँस बाकी थी
वो नहीं आई।
आज लेकिन कब्र पर
वह दौड़ कर आई
फूल तो चढ़ाया
संग आंसू भी बहाई…
Author: Prabhat Kumar