कोई बस आहें भरता है कोई जगता न सोता है .
दीवाना दिल धड़कता है तो एक हलचल सा होता है.
*
अगर मैखाने में मिलती तो दिल पूजा वही करता…
वो

अक्सर मिल ही जाती है कोई दूजा नहीं मिलता

*
मगर मिलने से क्या कोई कमी कम हो गयी है क्या…
उसकी आरजू क्या है पहेली कम नहीं होती
*
वो मुझको याद करती है मैं उसको याद करता हूँ …
वो मुझ से रूठ जाती है मैं बस फरियाद करता हूँ.
*
मुहब्बत एक हसीं लम्हा पहेली है, कहानी है.
कोई कहता हमें आशिक, नशीली सी जवानी है.
*
नशा है इस मुहब्बत में कोई मंझधार पर डूबा ,
कोई नौका निकल आई मगर उस पार मैं डूबा.
*
मुहब्बत करके देखा है किस्मत के सितारों को…
कि

हरपल जलते देखा है तड़पते उन नजारों को.

*
मिले इकबार उन से हम कि ज्वाला कम नहीं होती
गीरें हरबार पत्थर पर ये दूरी कम नहीं होती.
*
सरारत से, सराफत से, नजाकत से
सिखाया नमी आखों की ताकत से
मगर दिल पत्थर है उसका
न पिघले अग्नि, उष्मा, शोलों से
*
वो निश्चय कर चुके हैं अब …

वो दरिया बन चुके हैं अब,

नहीं रुकना किसी कि आस में उन्हें बस चलते जाना है…
*
वो जाये जिस डगर, न हारना तुम
प्या

र करना जिंदगी से,

जीते रहना

दि

ल फिर से धडकेगा, मन चहकेगा

सीतारे फिर से गायेंगे, दिल पे छाएंगे…

Author: Prabhat Kumar

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