यू तो चाहतों की चाह हमे नहीं होती..,
इसके आने की आगाह भी नहीं होती
फिर भी एकांत दिलों में एक हसीन प्यास होती है
मालूम नहीं हमको पर चाहतों की बारात होती है!
फिर एक दिन,
नज़रों से बयां हुई जो मोहब्बत
चाहतों के सितारे चमकने लगे
वो हमे देखकर यूँ थिरकने लगे
हम उन्हें राह पर अब परखने लगे!
उनके भोली हसीं में सरारत भरी थी
हमारी अदाएं भी कुछ कम नहीं थी
जुनूने मोहब्बत की मासूम कलियाँ
जवां दिल के गुलसन में खिलने लगी थी
जुदाई की रातें, सरारत सी बातें
धड़कते दिलों में बस जगमगाते
ना कोई उलझन ना कोई ताना
तुझको पाने की चाहत अपना बहाना!!