यु तो गली में चाँद है पर चांदनी दिखती नही जो गुमशुदा शादियों से है वो खुशनुमा खिलती कहीं पर आज भी कुछ रंग हैं
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एक लव्ज बनो तुम इस पल, ये पल गमगीन है जीवन का तुम एक पहेली बनकर के, ‘गम’, मीत! मिटादो जीवन का !! तुम अक्षर में, तुम
जाने अनजाने में मैं – क्यों भूल जाता हूँ। मेरी प्रियतम मधुशाला !! क्यों मैं डूब जाता हूँ ! प्यार के रंग अनेको हैं और
वो जो रूठे हमे बताकर तो मजा आ जाता…वो कोई शर्त जो रखते तो मजा आ जाता…उनकी सूरत में मजा है जो उनकी सीरत में,वो