मुहब्बत में आशिक का जी आजमाना
गुजारिश है उनसे अजीज आजमाना
जमाना है कातिल तमीज आजमाना
चलो भुल जाते, तुम्ही आजमाना !!
मुहब्बत है जरिया या शोक दरिया
कोई आजमाइश पर रंग आजमाना
उजालों ने अपनी पकड़ छोड़ दी है
अंधरों की बस्ती में तंग आजमाना !
मुहब्बत उदासी की ऐसी घडी है
तन से अलग जिन्दगी आज़माना
लंका के रावण से बैर बढाकर…
यौवन में झुलसे कदम आजमाना !
मुहब्बत नजाकत इशारों की मस्ती
मेरे बोल ने हर डगर आजमाया
उनकी अदाएँ, इशारों सी बाहें
मुहब्बत में हमने वचन आजमाया !!
मुहब्बत पर पहरा, प्यासी निगाहें
उनकी तड़प में जहाँ आजमाया
तुझको भुलाकर ज्यों फेरी निगाहें
मुहब्बत मिली और तुझे आजमाया !!
Author: Prabhat Kumar