मैं मानता हूँ दोस्ती जीने का दूजा नाम है और
दुश्मनी भी दोस्ती का एक सुलगता नाम है…
दोस्ती में दोस्तों को याद करना, भूल जाना…
गम जाताना, यू सताना, प्यारी बातें आजमाना !!
फिर न जाने दुश्मनी क्यों लगती है मुझको बहाना,
एक मिथ्या जीत की, एक अपरिचित गीत गाना…
प्यार से जब जीत सकते, दुश्मनी कैसा निशाना,
यू कभी विनम्र होकर, दुस्मानो से मिलके आना…
दुश्मनी और दोस्ती कुछ भी नहीं परछाइयाँ,
दुश्मनी का वो शबब, वो दुश्मनी की झाकियां,
याद करना हो तुझे तो तर्क हो कुछ इस तरह,
तेरे ही जख्मों के तले मिलती रही ऊचाइयां !!