वैसे तो मैं बेहत शरीफ इन्सान हूँ…
पर facebook के युग में थोडा बदनाम हूँ !
facebook लगता है मुझे हिंद-महासागर
और girls के profiles होते हैं salty water
यू तो पानी का मजा तब आता है,
जब किसी proposed message पर
out of irritation कोई thought आता है !
यू किसी को सताना मेरा धर्म नहीं..
facebook पर लड़की पटाना मेरा कर्म नहीं |
फिर भी एक ख्वाइश है इमरान हाशमी बनने की…
e-messenger पर ही सही, दिले-शायरी कहने की!!
गुल बना गुलदस्ता बना वो chat वाले प्यार में,
हुआ जो दीदार तो disco खोल दूं bar में…
एक little star की profile दिलो जान से प्यारी हो गई
यू message करते-करते उन से घनिष्ठ यारी हो गई !
number दिए तो कह गए किसी और को मत देना
तुम तो अपने ही आदमी हो, किसी गैर को मत देना…
दिल में लड्डू फुट रहे थे, कॉल करने की बस देर थी
बातें उनसे होती ही, पर अगली ख्वाइश कुछ और थी !
कभी जो मिलने का request किया तो कहते हैं –
“आज नहीं कभी और पार्क होटल के पास मिलते हैं?
घर पर काम भी है, सर पर exam भी है,
कभी इत्मिनान से restaurant या bar में मिलते हैं…”
फिर एक दिन मिलने की बात पर,
date और time तय हो ही गया…
महीनो के सूनेपन को कोलाहल और
ख्वाब को हकीक़त का पंख मिल गया !
यू तो शायरी में बातें होती थी अक्सर
मिलने पर पतंगा परवाज़ भूल गया…
शायर अपना ग़जल और ख्वाब भूल गया
या यू कहो शेख अब नमाज भूल गया !!
जिसने नजरों से कभी कोई बात न की हो,
वो नजरों के नजारों में खुद आप भूल गया
बातों ही बातों में पहचान हुई खूब
धड़कन से बजी साज हुई बातें लाजबाब
प्यार का वो पौधा फिर जड़ से गड़ गया
वो date वाली शाम दिल में जड़ गया !!
शाम ढलती ही रही, अक्सर इन्ही परछाइयों से…
दिल को पढता भी रहा, इन प्यार के गहराइयों से,
यू तो सफल होता नहीं है प्यार इत्तफाक से,
जिंदगियां फिर भी सजी हैं, ऐसी ही मुलाकात से…