लिखता हूँ मैं कुछ ऐसा नगमा ही लिखता हूँ
कि हर पीनेवाले को मैं मधुशाला ही दीखता हूँ…!!
मेरी आवारगी की तह में जाकर देख लो तुम भी,
सुनी बाग में खुसबू भरा गुलदस्ता ही रखता हूँ..!!
वो नगमे रश नहीं, रौनक हैं अपने जिंदगानी के
वो सुखी पात पर भीगे हुए सबनम हैं साँसों के…
अगर खिलती है दुनिया बस उन्ही के आने-जाने से
तो उनके प्यारी बातों को मैं सर आखों पर रखता हूँ…!!
लिखता हूँ मैं कुछ ऐसा नगमा ही लिखता हूँ
कि हर पीनेवाले को मैं मधुशाला ही दीखता हूँ…!!