एक अध्ययन किया है विदेश में आकर
क्या सुनियेगा जरा अपना सर झुकाकर ???
यूरोपे को कहूँ स्वर्ग का सफ़र और इंडिया?
हा हा हा !! और कुछ नहीं…
ये है महज पृथ्वी का कहर…
कैसे…??
आपको पता होगा Albert Einstein ने कभी
Theory of Relativity पर एक विस्तार लिखा था,
और हमारे धार्मिक ग्रंथों ने इस पर
ईशा पूर्व से ही विचार कर रखा था…
इतने rich heritage के संग्रह करते हुए भी
हम आज के युग में कंकाल से हो गए हैं…
स्विस-बैंक में अपना अरबों का माल पड़ा हुआ है
और देश के लिए कंगाल से हो गए हैं…
हमारे धर्मगुरु और विज्ञानं के कर्मगुरु का मानना है
कि स्वर्ग कि धारा पृथ्वी की धारा से अलग होती है…
स्वर्ग में बिताए चंद घंटे पृथ्वी पर बिताये सैकड़ो दिन के बराबर होती है…
क्या ये relativity का जादू यूरोप और इंडिया के Economy पर लागु नहीं होती ?
Dublin में coffee पर खर्च किये गए चंद यूरो,
इंडियन रुपयों में सैकड़ों के दाम होते है…
उनके भिखारियों की whiskey पीने की जो प्रतिमाह की लागत होती है,
उसके बराबर रुपयों की अपने मुल्क के किसानों की वर्ष भर की चाहत होती है…
और उतनी भी नहीं मिलती तो उनके जिंदगी में चरमराहट होती है…
कुछ भूख-मरी, कुछ खुद-ख़ुशी और कुछ के घर में बगावत होती है…
Author: Prabhat Kumar