गुब्बार बना रखा है, कोई घुमार बना रखा है…
दो पल का मिलना और मिलके फिर बिछुड़ना,
तेरी आशिकी ने मुझको लाचार बना रखा है !!
फिर नैन जो रसीले और उनका यू चमकना…
और चांदनी में चेहरों का खुद-ब-खुद बहकाना,
रंग-रूप की चाहत ने मुझे बेकार बना रखा है !!
साकी की वो सरारत और उसकी खुशियाँ सारी…
फिर उस हसीं की छांव में कोई गीत सजा रखा है,
तेरे आने की है गुजारिश, एक ख्वाब बना रखा है !!
Author – Prabhat Kumar