पहली मुलाकात की बस बात ही तो थी.…
हमने पी ली जो ख़ुशी में वो शराब ही तो थी
कुछ उनका नशा था, कुछ था शराब का.…
कुछ चांदनी का ताज था कुछ आफताब का !!
हमने पी ली जो ख़ुशी में वो शराब ही तो थी
कुछ उनका नशा था, कुछ था शराब का.…
कुछ चांदनी का ताज था कुछ आफताब का !!
वो क्षण ख़ुशी का था जो गम में तलब हुआ
वो आशिकी का पंख था तन से अलग हुआ !
बस एक मुलाकात में क्या-क्या बदल गया
एक जंगल का शेर था, वो गजल में ढल गया !!
एक नशा थी रात में, साकी के ख्वाब में.…
उनकी नशीली नयन की अगली फ़िराक में।
फिर खुदा भी सोचा ये कैसा नशा चढ़ा है…?
ये इंसान ही तो है फिर नासमझ क्यों अड़ा है?
खुदा को क्या कहूँ कि दिल का जख्म गहरा है
मुहब्बत मिट नही सकता रौशनी का पहरा है।
अगर खुद आप मेरे दिल में आकर बैठ जाओगे
यक़ीनन तुम भी उनकी आशिकी में डूब जाओगे !!
Author: Prabhat Kumar