सोच निराली तकनिक नया

सोच निराली तकनिक नया
मानो कुछ करने को दिल में ठन गया।

मैं करूं? न करूं? क्या करूं?
कुछ कर न सका बस सोच रहा
हाय क्या करूं?

*

इतना हो परेशान?
इतना हो परेशान रहे परेशानी जीवनभर…
गर तुम सोचे और बस सोचे
आगे कुछ तुम कर न सके
जीवन तेरा विफल रहा
गर तुम हाथ बढ़ा न सके
अपने पद खिसका न सके।
आचार-विचार, चेत-अचेत सब व्यर्थ रहा
रहा व्यर्थ सब सोच निराली और नया तकनिक।
*
तो क्या करूं?
तो क्या करूं?
सोच ही तो सकता हूं
पैसा नहीं लगता
करेगा क्या ये बंदा जो है नहीं धनिक
कुछ करने की जब सोचता हूं
मैं डरता हूं कुछ हो न जाए
जो भी थोड़ा पास में है
इधर-उधर में खो न जाए
इसिलिए मैं करता पूजा
मिन्नत करता बारम्बार
दे माँ मुझको विद्या दे दे
दे लक्ष्मी माँ झोली भर दे
मैं तेरे सपनों का पुजारी
जो करता मिन्नत बारम्बार।

*

अरे पागल! तो कर मिन्नत
माँ भर देगी तेरी झोली…
माना है तेरी सोच सही
है तेरा तकनिक नया।
पर सोच!
सोच! सोच! सोच!
है तुझमें हिम्मत इतनी?
है तुझमें विश्वास भरा?
तु छु सकता है गगन
पा सकता चांद सितारे
माँ देगी तुझको विद्या
लक्ष्मी भर देगी तेरी झोली
गर है इतनी हिम्मत इतना विश्वास
बस कर डाल क्या तुने दिल में ठानी
एक बार बस सोच ले अब तु
न करना आनाकानी।

*

हिम्मत इतना जुटा सको कि
झेल सको तुम आपत्ति
और हौसला हो ऐसी कि
संकट में भी डटे रहो
तब होगी जीत तुम्हारी।
तब होगी जीत तुम्हारी।
*
जाग गया! जाग गया मैं सपनों से,
वर्षों के इन फंदों से,
अब मैं आजाद हुआ हूं।
आई है मन में तरूनाई
आशा है, विश्वास है।
हिम्मत है, हौसला है।
कुछ करने की, ऊंचा उठने की।
मन मे गठित योजनाओं को
अंजाम देने के लिए
आज लगन है, उमंग है।
मन का दीपक हर ओर उजाला फैलाए,
मानो मेरी चीर निद्रा का अंत कर रहा हो।
आज मैं धरातल से ऊपर उठ रहा हूं…
ऊपर..
और ऊपर….

Author:- Prabhat Kumar

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