हम नहीं हैं बेजुबान

आप से इतनी गुजारिस
हम नहीं हैं बेजुबान…
*
जिंदगी एक कचहरा है
और वो पुछेंगे आज…
हम समर्पन कर चुके हैं
कैसे लें हम उनका नाम?
*
आप से इतनी गुजारिस
हम नहीं हैं बेजुबान…
*
वक्त आने पर कहेंगे
उनके जुल्मों का बखान…
पर न जाने वक्त ही क्यों
जम गया पत्थर समान?
*
ये जिंदगी एक जाम है
उनकी खुशी, उनका तलब…
खून फिर किसने किया?
किसने लिया ये इन्तकाम?
*
मौत भी मुझको मिले
तो कहते वो इनाम है…
क्या ख़बर उस दिल की है…
जिस दिल में अपनी जान है?
*
आप से इतनी गुजारिस
हम नहीं हैं बेजुबान…
*
जिंदगी तो जिंदगी है
मौत को मिलती सजा…
ये सफर विरान पथ पर
वक्त हमसे क्यों जुदा?
*
मिट सके न याद उनकी
अब न जाने वो कहाँ…
फिर बताओ क्यों करें न
बैठ कर चर्चा यहाँ…?
*
आज हम खामोश हैं
पर नहीं हम बेजुबान…
क्या गुजारिस हम करेगें…
अब कहाँ है अपनी जान?
*
आप से इतनी गुजारिस
हम नहीं हैं बेजुबान…

Author- Prabhat Kumar

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