Kuch lamhe, kuch baaten Kuch sahmi sahmi aahen Vo doori, vo darpan Rukhi rukhi aashayen Kuch minnat, kuch dhara Muskil me ab sansara re Muskil
Category: shayari
उसको भुलाने के लिए हमने जो किनारा माँगा, लोग समझते रहे हम अपने जाम मेँ डूबे हैं ! हमने तो चोरों को कल शाम दावत
हज़ारों सवालों से अच्छी है खामोशी तेरी… न जाने कितने सवालों की आबरू रखी !! शोकसभा में भारतवर्ष के सरपंच बोले… टूटे हुए दिलों को
बदला नहीं जमीं है न बदला है समन्दरकलियां खिलेंगी अब भी कुछ खास है ये मंजर बादल की गुफ़्त गु में गर बदली है हवाएंतो