ऐ जिंदगी ! तुझे जीता हूँ क्यों?
आज इस पर विचार करलूं
दिलरुबा से दिल्लगी करलूं
या शिव का पुकार करलूं !!
ऐ जिंदगी ! तुझसे दो हसीन बातें करनी है,
ग़मगीन है सम्मा, सारी जहाँ
न तूफान, न हलचल है कोई
साहिल पे ख़ुशी जाहिर करलूं ?
ऐ जिंदगी ! तू बेवफा है आखिर
उम्रभर तुझे रिझाया मैंने
और तू इतराती रही युही
तेरे जाने का इंतज़ार भी करलूं ?
12 March, 2016 by प्रभात कुमार