गुनगुनाती थी पहर और सतह भी ठोस थी निहारती थी नजर, और पलक पर ओस थी कुछ वाद न विवाद था कैसा गजब संवाद था
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तूफां से गुजर कर मुतमईन थे हम साहिल पर डूब जाएगी कसती खबर न थी। (अज्ञात) तेरे अहसान के तले बड़े शागिर्द थे हम एक
मेरी पहली लघु कथा !!! एक फौजी कारगिल युद्ध में शहीद अपने दोस्त की फोटो फेसबुक पर शेयर करता है और तमाम लोग उस पर
सारी दुनिया का अजूबा ताज है मुश्किलों में हो वतन तो हिंद एक आवाज़ है दिल दुखे! गर्दन झुखे ! तो बस तुझी पे नाज
प्यार का एहसास सात्विक, सुन्दर और सबसे सुहाना है… दिल में चाहत-ए-जूनून और लबों पर मिलने का बहाना है | अंजाम है कमायत-ए-मौत और लड़ने