कैसे कहूं कि तेरे याद में,रातें गुनगुना कर गुज़ार लेता हूं।मन में होती है हलचल हर पलतुझको नज़रों में जो उतार लेता हूं। तुझ से
Month: July 2007
विस्तार हुआ, अवतार हुआतब कलियुग में,स्वपनों का त्योहार हुआ। कुछ हठकलियां, चंचल कलियांप्रीत जगी जब-जब इनमेंमुझको इन सब से प्यार हुआ तब प्यार हुआ॥ ~*~
अल्फ़ाज़ों मैं वो दम कहाँ जो बया करे शख़्सियत हमारी, रूबरू होना है तो आगोश मैं आना होगा , यूँ देखने भर से नशा नहीं
मैने खोया एक खुशी एक नाज़ एक अंदाज खोयाखो चुका मैं ताज उसका, जिन्दगी का राज़ खोयाउसने क्या खोया?उसने खोया प्यार मेरा और एक संसार
(1) फोकट का फाटक खुलवाविस्तार करूं मैं बेतालासाकी से शुरूआत करूं मैंदे संतों को मय-प्याला,*ऐसा स्वांग रचूं मैं पी केअपने इस मदिरालय मेंझुम-झुम सब नाचें