(1) फोकट का फाटक खुलवाविस्तार करूं मैं बेतालासाकी से शुरूआत करूं मैंदे संतों को मय-प्याला,*ऐसा स्वांग रचूं मैं पी केअपने इस मदिरालय मेंझुम-झुम सब नाचें

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मेरी मधुशाला(old version)प्रियतम्!मैं आगे बढता हूं,मेरी लगाम् साक़ी बाला ।रंजित हूं मैं मदिरा पीकर,है जो कमान मेरी हाला ॥ जीने का अभिलाषी हूं मैं,मस्त मुहर्रम

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