विजयी तिरंगा

ऊपर होगा लाल केशरिया

नीचे होगा हरीयर पीला
बीच में उजियाली लहराए
ताके बीच में चक्कर नीला…

ऐसी होगी विजयी तिरंगा,
ऐसी होगी निर्मल गंगा |
होगी अपनी भक्ति ऐसी
नहीं कहीं पर होगा दंगा !

आशुं में अपनापन होगा,
गैरों के संग जश्न मनेगा !
प्यार से दुनिया जीतेंगे हम
हरियाली हर प रंगेगा |

नहीं कोई भूखे तडपे अब
फसलों से जब देश खिलेगा |
सारी दुनिया पूछ रही है
उज्जवल भारत कैसा होगा?

जबतक रिश्वत राज रहेगा
बैमानी पर नाज रहेगा
कानूनों पर उलटी पगड़ी
नेतागण पर ताज रहेगा…

कितनी भी उपलब्धि होगी
जन सुविधा की वृद्धि होगी
जनता फिर भी सड़कों पर ही
सत्तापक्ष की समृद्धि होगी…

कुछ देशप्रेमी, दीवानों की
जब भक्ति लीला शुरू हुई
अनसन पर बैठे हो अन्ना
सबकी पगड़ी फिसल गई…

विजयी तिरंगा लोकतंत्र को
ताज लगता वैभव का…
भ्रष्ट-तंत्र पर विजयी हुए तो
स्वर्णिम भारत अपना होगा !!
Author: Prabhat Kumar

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