साकी के सह से सजती मधुशाला


यत्र नार्यस्तु पूज्यते रमन्ते तत्र देवता !
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नर-नारी का विषम पात्र है मन में, 
एक कलश पर अलग है प्याला…
अबला नारी दीन-हीन कृपा-विहीन, 
नर के जन्म पर भोग कृपाला !
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ऐ भारत के सुर-पुत्र औ राजदूत 
साकी को दे सम्मान, सुरक्षा, आशा…
फलदायी होगी बंजर राज-व्यस्था, 
साकी के सह से सजती मधुशाला !!
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