तीव्र हवा और भारी घटा मेरा अंतर्मन निर्गुण हुआ कोकिल को मैं देख रहा ध्वनि से चिंतन पूर्ण हुआ मत रो, मत व्याकुल हो चेतन ही
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गुफ्त-गु हवाओं ने क्या खूब की हैबुनियाद उनकी हिलने लगी है।दो दिनों में बगावत तो होगीसांस भी अब सारी थमने लगी है।सागरों में लहरों ने