Year: 2018
मुझे न समझो एक अनाड़ी मैं मनमौजी काया हूँ। जो मुझको देखें एक आँख से अक्सर उनको भाया हूँ।गली-गली में चर्चा होतीमैं सदभाव सुनाता हूँ।ग़ालिब और बच्चन कीवंदन
मुझे न समझो एक अनाड़ी मैं मनमौजी काया हूँ। जो मुझको देखें एक आँख से अक्सर उनको भाया हूँ।गली-गली में चर्चा होतीमैं सदभाव सुनाता हूँ।ग़ालिब और बच्चन कीवंदन