आप से इतनी गुजारिस हम नहीं हैं बेजुबान… * जिंदगी एक कचहरा है और वो पुछेंगे आज… हम समर्पन कर चुके हैं कैसे लें हम
Year: 2007
जीवन में निराशा आती हैजब बीते पल इठलाते हैं…अतीत के पन्नों को उधेड़जब दिल में दर्द जगाते हैं।* मेरी अभिलाशा कैसी होगीयह प्रश्न ही था
सोच निराली तकनिक नयामानो कुछ करने को दिल में ठन गया। मैं करूं? न करूं? क्या करूं? कुछ कर न सका बस सोच रहा हाय
गोला मोला टोला वाला सीधा साधा भोला भाला। कहे बिहारी मदिरा वाला बमबम भोले मैं मतवाला।। *** रोके कोई मुझे तो मस्ती छोड़ न दे
मेरी मधुशाला(new) मेरे मार्ग पर विजय सरिखेआभूषण हो पुष्पक माला।मदिरा पर हों छंद मेरेछाए न दिल पर साकी बाला।। हुआ समर्पन मदिरालय मेंआज मेरा प्यारा
मेरी मधुशाला(old version)प्रियतम्!मैं आगे बढता हूं,मेरी लगाम् साक़ी बाला ।रंजित हूं मैं मदिरा पीकर,है जो कमान मेरी हाला ॥ जीने का अभिलाषी हूं मैं,मस्त मुहर्रम