विस्तार हुआ, अवतार हुआतब कलियुग में,स्वपनों का त्योहार हुआ। कुछ हठकलियां, चंचल कलियांप्रीत जगी जब-जब इनमेंमुझको इन सब से प्यार हुआ तब प्यार हुआ॥ ~*~

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(1) फोकट का फाटक खुलवाविस्तार करूं मैं बेतालासाकी से शुरूआत करूं मैंदे संतों को मय-प्याला,*ऐसा स्वांग रचूं मैं पी केअपने इस मदिरालय मेंझुम-झुम सब नाचें

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