बीबी क्यों न जाने क्यों अपने हाथ नहीं होती… फिल्म देखना हो वो घर में बनाती है… हम जो देखना चाहें। बड़ा चिढाती है… खूब बनाये बातें, और हमे सुनाती है… बीबी
Category: feelings
दोस्तों!! मधुशाला की नवीनतम पंक्तिया आपके सामने पेश कर रहा हूँ….इन पंक्तियों से मैं मेरी मधुशाला का कवर पृष्ट के मूल की पुष्टि करने की
लिखता हूँ मैं कुछ ऐसा नगमा ही लिखता हूँकि हर पीनेवाले को मैं मधुशाला ही दीखता हूँ…!!मेरी आवारगी की तह में जाकर देख लो तुम
काव्य कला को पीने वालों कल्पित कल में जीने वालों सात रंगों में रंगी हुई अपनी लीला है.. हो जाते बदनाम, अगर सम मधुशाला है…
भर-भर के मदिरा मिले तुझको मैं एसा गीत लिखूंगा अब तुम भोग लगा न पाओगे पीने को मिलेगी गंगा जब !! * ये मदिरा अपनी
जीवन में आएगा प्रभातवो कलिया वो तारे आएँगेजिनकी है मुझको तब से यादहै मेरी यह परिकल्पनाहै मेरा यह सुदृढ विश्वासजीवन में आएगा प्रभात।जीवन पथ का
जीवन में निराशा आती हैजब बीते पल इठलाते हैं…अतीत के पन्नों को उधेड़जब दिल में दर्द जगाते हैं।* मेरी अभिलाशा कैसी होगीयह प्रश्न ही था