ऊपर होगा लाल केशरिया नीचे होगा हरीयर पीला बीच में उजियाली लहराए ताके बीच में चक्कर नीला… ऐसी होगी विजयी तिरंगा, ऐसी होगी निर्मल गंगा
ऊपर होगा लाल केशरिया नीचे होगा हरीयर पीला बीच में उजियाली लहराए ताके बीच में चक्कर नीला… ऐसी होगी विजयी तिरंगा, ऐसी होगी निर्मल गंगा
भर-भर के मदिरा मिले तुझको मैं एसा गीत लिखूंगा अब तुम भोग लगा न पाओगे पीने को मिलेगी गंगा जब !! * ये मदिरा अपनी
(१) प्यार कि मंजिल बताओ सूरतो में ढूंढते हो मस्त मौला जिंदगी ये मुफ्त में मिलती नहीं | (२) क्या बताऊँ, दिल लगाओ इश्क मोहब्बत