सांता क्लॉज़ ! सांता क्लॉज़ ! सांता क्लॉज़ !! हर डगर पर जात,धर्म, प्रान्तवाद… और तेरे आने पर नहीं विवाद…. देवगन की कृपा के साथ
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मेरी इश्क है सजा, मेरी जान को बता… मेरी एक न सुने, वो करे है क्या खता? अपनी बाते खूब कहे वो बेबस मैं लाचार मन मंदिर में
उसको भुलाने के लिए हमने जो किनारा माँगा, लोग समझते रहे हम अपने जाम मेँ डूबे हैं ! हमने तो चोरों को कल शाम दावत
यत्र नार्यस्तु पूज्यते रमन्ते तत्र देवता ! ********************************** नर-नारी का विषम पात्र है मन में, एक कलश पर अलग है प्याला… अबला नारी दीन-हीन कृपा-विहीन,
आजाद हूँ मैं, आबाद हूँ मैं तेरी नज़रों का पुख्ता ताज हूँ मैंआवाज़ हूँ मैं, अंदाज हूँ मैं काजल सा काला, कोई राज हूँ मैं…
मैं मानता हूँ दोस्ती जीने का दूजा नाम है औरदुश्मनी भी दोस्ती का एक सुलगता नाम है… दोस्ती में दोस्तों को याद करना, भूल जाना…गम